सिंचाई विभाग की बेफिक्री जर्जर नहरों में बिना साफ सफ़ाई किये छोड़ा पानी ... कूटा करटक की वजह से खेतों तक नहीं पहुंच रहा जल

सिंचाई विभाग की बेफिक्री जर्जर नहरों में बिना साफ सफ़ाई किये छोड़ा पानी ... कूटा करटक की वजह से खेतों तक नहीं पहुंच रहा जल

जांजगीर चांपा :- सिंचाई विभाग की बेफिक्री इस वर्ष भी नहरों में दो दिन पहले ही जायद फसलों के लिए नहरों में पानी छोड़ा गया लेकिन विभाग की ओर से जर्जर नहरों की मरम्मत तो दूर साफ-सफाई तक कराना सिंचाई विभाग ने जरूरी नहीं समझा ग्राम हथनेवरा व अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई का एकमात्र साधन है नहर ! और इसमें भी अधिकारियों द्वारा लापरवाही की जायेंगी तो किसान कैसे करेंगे ? खेतों तक पानी जाने के लिए बड़ी नहरों से एक छोटी (पिलारी) नहर दिया गया है जिसके माध्यम से प्रत्येक खेतों तक पानी सिंचाई हेतु आसानी से पहुंच जाती है लेकिन सिंचाई विभाग द्वारा इस वर्ष बिल्कुल भी नहरो की सफ़ाई पर ध्यान नहीं दिया गया ,

अब इसी गंदगी के बीच से होकर नहर में पानी बहेगा जो जर्जर नहरों से व्यर्थ बहकर बर्बाद होगा तो कूड़े-करकट के चलते पानी खेतों तक पर्याप्त मात्रा में भी नहीं पहुंचेगा लेकिन इसको लेकर कोई सिंचाई विभाग के अफसरों को कोई चिंता नहीं है। 

गौरतलब है कि जांजगीर-चांपा जिला 95 प्रतिशत सिंचिंत जिला है। नहरों का जाल पूरे जिलेभर में बिछा हुआ है लेकिन अधिकांश जगहों पर छोटी नहर से लेकर बड़ी नहरों की स्थिति जर्जर नजर आ रही है। नहरों की मरम्मत की जिम्मेदारी सिंचाई विभाग की है लेकिन मरम्मत को लेकर विभागीय अफसर बेसुध बने हुए हैं। मरम्मत और साफ-सफाई को लेकर हर बार यही रवैया रहता है जिसके चलते किसानों को हमेशा पानी नहीं मिलने की शिकायतें रहती है। इस बार मरम्मत नहीं कराने को लेकर जिम्मेदार अफसरों का कहना है कि रबी के लिए पानी देने का निर्णय लिया गया है, ऐसे में मरम्मत के लिए समय नहीं मिला। इसके चलते मरम्मत का काम अब नहीं हो पाएगा। वहीं साफ-सफाई के लिए जिम्मेदार अफसरों का तर्क है कि लोगों को जागरूक होना चाहिए कि वे नहर में कचरा न डाले, हम कितनी बार सफाई करवाएं। यानी अफसरों ने भी साफ ठान लिया गया है कि इस बार जायद फसलों के लिए पानी छोड़े जाने के कारण न तो जर्जर नहरों की मरम्मत की जाएगी और न ही साफ-सफाई। किसानों को पानी मिले या न मिले।

संवाददाता - लोकनाथ साहू / मनमोहन