एक मजबूर पिता की मार्मिक गाथा !आधुनिक भारत में स्वास्थ्य सुविधा की शर्मनाक उकेरी हुई तस्वीर

एक मजबूर पिता की मार्मिक गाथा !आधुनिक भारत में स्वास्थ्य सुविधा की शर्मनाक उकेरी हुई तस्वीर

मामला पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में बदहाल स्वास्थ्य सुविधाओं का

सिलीगुड़ी: तनिक उस झकझोर ने वाली दृश्य का मन में अनुमान लगाइए जब अपने किसी परिजन का देहांत हो जाए और बदहाली सहित गरीबी के चलते मृत शरीर को ले जाने के लिए वाहन की सुविधा ना मिल पाए,ऐसी स्थिति में परिजनों पर कितनी बड़ी आफत की पहाड़ टूट पड़ेगी इसे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है, और ऐसा ही कुछ वाकया पेश आया है, पश्चिम बंगाल में जहां तृणमूल कांग्रेस सरकार द्वारा स्वास्थ्य साथी बीमा योजना जनहित में चलाने का दंभ भरा जा रहा है, ऐसी योजना के बाद भी एक गरीब असहाय पिता जिसके 5 माह के बच्चे का इलाज के दौरान मौत होने के बाद उसे वाहन की सुविधा नहीं मिलने से शव (डेड बॉडी )को बैग में डालकर उसे 200 किलोमीटर की यात्रा गुपचुप तरीके से करनी पड़ी,ताकि किसी को इस बात की जानकारी ना हो सके कि वह बैग में शव लेकर यात्रा कर रहा है, इस दौरान उसे यह गम सता रहा था कि चालक अथवा यात्रियों के द्वारा स्थिति की भनक लगने पर बस से उतार ना दिया जाए, इस ख्याल से उसने सारा वाकया को मन नहीं दबाए रखा, बताया जाता है कि एक गरीब असहाय पीता असीम देबशर्मा ने अपने 5 माह के मासूम बच्चे का इलाज कराने के लिए सिलीगुड़ी नार्थ पश्चिम मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में भर्ती कराया था जहां 6 दिनों तक इलाज चलने के बाद गरीब असहाय पिता ने लगभग ₹16000 खर्च किया,इसके उपरांत भी वह अपने मासूम बच्चे को बचा नहीं पाया,यह मार्मिक कहानी यहीं पर खत्म नहीं होता बल्कि अपने बच्चे के शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस सहित अन्य किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं मिलने के उपरांत उसने एक वाहन चालक को इस संदर्भ में जब बात कि तो उसने 200 किलोमीटर दूर ग्रह ग्राम उत्तर दिनाजपुर के कालियागंज तक सफर के लिए ₹8000 की मांग करने के बाद उसे कुछ नहीं सुझा और मासूम बच्चे के मृत शरीर को

एक बैग में डालकर गुपचुप तरीके से वाहन में सफर करना पड़ा,जब इस तमाम चिकित्सीय असुविधाओं सहित मानवीय संवेदनाओं को छिन्न-भिन्न होने की जानकारी राजनीतिक हलकों में पता चली तो राजनीति के रड क्षेत्र में जोर आजमाइश करने वाले दबंग नेताओं के द्वारा आपस में ही मासूम बच्चे के मौत के उपरांत राजनीति करने में जुट गए चुके हैं, जो अपने आप में शर्मनाक वाक्य पेश किया जा रहा है,हैरत वाली बात यह है कि देश के लगभग सभी राज्यों में स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर राज्य सहित केंद्र सरकार के द्वारा विभिन्न प्रकार के भारी-भरकम चिकित्सा सहित बीमा योजनाओं का संचालन किया जा रहा है,

इसके उपरांत भी जरूरत पड़ने पर परिजनों को शव वाहन तक उपलब्ध नहीं हो पा रहा है जिसके चलते कहीं परिजन शव को ठेला में ले जाने के लिए मजबूर हो रहे हैं तो कोई रिक्शा या फिर खाट में,,,। अब मामला मासूम बच्चे के शव को पिता द्वारा बैग में समेट कर ले जाने का मामला सामने आने के बाद पूरे देश भर में संचालित हो रहे स्वास्थ्य सेवाओं पर एक गंभीर सवालिया निशान लग चुका है,,,,।आखिर कब तक गरीब असहाय लोग अपने परिजनों के लाशों को अपने आत्मा के कंधों पर लेकर इस तरह से ढोने के लिए मजबूर होते रहेंगे,,,,।