छत्तीसगढ़ में एक बुजुर्ग हाथी ने थोड़ा दम

छत्तीसगढ़ में एक बुजुर्ग हाथी ने थोड़ा दम

छत्तीसगढ़ में एक और हाथी की मौत हो गई है। वो प्रदेश के सबसे बुजुर्ग हाथी था। कहा जा रहा है कि वो कई दिनों से बीमार चल रहा था। अब सूरजपुर में इलाज के दौरान मंगलवार सुबह उसकी जान चले गई है। जशपुर में 20 दिन पहले एक हाथी के शाव की भी मौत हुई थी।

60 साल का सिविल बहादुर लंबे समय से बीमार था। इस वजह से उसे सूरजपुर जिले के तमोर पिंगला रेस्क्यू सेंटर में रखा गया था। यहां उसका उपचार किया जा रहा था। रेस्क्यू टीम लगातार उसकी निगरानी कर रही थी। कुच समय पहले उसके स्वास्थ्य में सुधार आया था। मगर बाद में उसकी स्थिति बिगड़ती ही चली गई। आखिरकार उसने दम तोड़ दिया है।

वहीं इस मामले में वन्य संरक्षण कार्यकर्ता नितिन सिंघवी ने बताया कि बिना मुख्य वन्यजीव संरक्षक के आदेश के इसे लगभग सन् 92-93 में पकड़ लिया गया था। जबकि कोई प्रमाण नहीं है कि इससे कोई जनहानि हुई थी। वन विभाग के अधिकारियों के कारण पूरे जीवन बंधक बनाकर गुजारना पड़ा

सिंघवी ने बताया कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में प्रस्तुत डॉक्टर मेनन टीएस की रिपोर्ट के अनुसार अचानकमार में रखे हुए सिविल बहादुर, सोनू, लाली और राजू को जंगल के ऐसे हाथी कैंप में रखना था। जहां पर वे जंगली हाथियों के साथ घुल मिल सकें और जंगल में फिर चले जाएं। हाईकोर्ट ने इस संबंध में आदेश भी जारी किए थे। मगर वन विभाग के अधिकारियों ने इसे तमोर पिंगला भेज दिया जहां लोहे के बड़े-बड़े एंगल से बने रेस्क्यू सेंटर में इन्हें रखा गया था।

20 दिन पहले जशपुर जिले में एक हाथी के शावक की मौत हो गई थी। वह 15 दिन पहले गड्‌ढे में गिरकर घायल हुआ था। जिसके बाद से उसका इलाज चल रहा था। बताया गया कि उसके 2 पैरों ने काम करना बिल्कुल बंद कर दिया था। यही वजह रही कि आखिरकार उसने दम तोड़ दिया। घायल शावक को कांसाबेल वन परिक्षेत्र की नर्सरी में इलाज के लिए लाया गया था। यहां विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम ने इस घायल हाथी का लगातार उपचार किया। मगर उसकी जान नहीं बच सकी।