सर्व आदिवासी समाज इतने तारीख को सड़कों पर उतरकर करने जा रही है प्रदर्शन

सर्व आदिवासी समाज इतने तारीख को सड़कों पर उतरकर करने जा रही है प्रदर्शन

रायपुर: प्रदेश में आदिवासी आरक्षण का मुद्दा अब राज्य में सियासी मुद्दा बनता जा रहा है। आदिवासी आरक्षण 32 फीसदी समाप्त होने के बाद से भाजपा और कांग्रेस के नेताओं के बीच जुबानी जंग शुरू हो गया है। दोनों दलों के नेता एक दूसरे को दोषी ठहरा रहे हैं। वहीं, सर्व आदिवासी समाज भी इस मुद्दे पर आदिवासी विधायकों और सांसदों की चुप्पी पर मोर्चा खोलने की तैयारी कर रहा है। सर्व आदिवासी समाज अब सड़क की लड़ाई लड़ने की तैयारी में जुट गया है। दरअसल, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने 19 सितम्बर के फैसले से समाज का 32% आरक्षण खत्म कर दिया है।

छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज सोहन पोटाई धड़े के कार्यकारी अध्यक्ष बीएस रावटे का कहना है कि राज्य सरकार ने इस फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील दायर करने की बात कही थी। आज एक महीने से अधिक समय हो गया सरकार अदालत नहीं पहुंच पाई है। इससे आदिवासी समाज में नाराजगी है। अब आदिवासी समाज ने राज्योत्सव और राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का विरोध करने का फैसला किया है।

एक नवंबर से तीन नवंबर तक प्रस्तावित इस सरकारी आयोजन के विरोध में आदिवासी समाज के लोग सांसदों, विधायकों और मंत्रियों के घर के बाहर नगाड़ा बजाकर प्रदर्शन करने वाले हैं। समाज की ओर से बताया गया कि संगठन की 25 सितंबर और 8 अक्टूबर की बैठक में 15 नवंबर को पूरे प्रदेश में आर्थिक नाकेबंदी का कार्यक्रम तय हुआ है। इसके तहत रेलगाड़ी और मालवाहक ट्रकों को रोका जाएगा। इसके लिए जिलों और ब्लॉकों में तैयारी की जा रही है।

2023 में भी बस्तर को भाजपा मुक्त रखेगी जनता : मरकाम

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि वर्तमान में बस्तर की जनता ने बस्तर को भाजपा मुक्त रखा है। 2023 के विधानसभा चुनाव में भी जनता बस्तर को भाजपा मुक्त ही रखेगी। भाजपा का चरित्र आदिवासी विरोधी रहा है। रमन सरकार की लापरवाही से आदिवासियों का आरक्षण कम हुआ है। भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार के दौरान आदिवासियों के जमीन पर कब्जा करने भू- संशोधन संशोधन विधेयक लाया गया था। निर्दोष आदिवासियों को जेल में बंद किया गया था। आदिवासियों के कानूनी अधिकारों का हनन किया गया था। पेसा के नियम नहीं बनाए गए। भाजपा और आरएसएस नेता कई बार सार्वजनिक मंचों से आरक्षण को खत्म करने की बात कह चुके हैं।

रमन सरकार ने आदिवासी नेता ननकीराम कंवर की अध्यक्षता में गठित कमेटी की सिफारिश को न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किया, जिसके कारण आदिवासियों के 32% आरक्षण के खिलाफ न्यायालय का फैसला आया है। भाजपा नहीं चाहती कि आदिवासी वर्ग को आरक्षण का लाभ मिले। मरकाम ने कहा, कांग्रेस की सरकार अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से अक्षम सामान्य वर्गों को कानूनी अधिकार के तहत आरक्षण का लाभ देने के लिए प्रतिबद्ध है। आदिवासी वर्ग के 32% आरक्षण के खिलाफ दिए गए फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है।

आदिवासियों के सामने आरक्षण की स्थिति स्पष्ट करें: भाजपा

प्रदेश भाजपा मीडिया सह प्रभारी अनुराग अग्रवाल ने कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया के संक्षिप्त बस्तर दौरे पर तंज कसा है। उन्होंने कहा, कांग्रेस ने 4 साल पहले झूठ का जो मकड़जाल बुना था, अब वह उसमें बुरी तरह उलझ गई है। अब उनमें जनता का सामना करने की हिम्मत नहीं है। अग्रवाल ने कहा कि पहले कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया बस्तर की सभी 12 सीटों का दौरा कर वहां के पार्टी पदाधिकारियों से चर्चा करने वाले थे।

 उसी दौरान भूपेश बघेल सरकार की इरादतन अनदेखी के कारण आदिवासी आरक्षण 32 फीसदी से कम होकर 20 फीसदी हो गया। इससे उपजे आदिवासी आक्रोश से घबराकर पुनिया का बस्तर दौरा अपरिहार्य कारण का बहाना बनाकर टाल दिया गया। अब उनका रस्म अदायगी के लिए जो दौरा कार्यक्रम बना है, वह कांग्रेस की दहशत का नमूना है।

अब वे केवल जगदलपुर और दंतेवाड़ा में कांग्रेस पदाधिकारियों से मिलेंगे। अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस ने केवल आदिवासियों को ही नहीं, पिछड़े वर्ग को भी छला है। कांग्रेस ने पिछड़े वर्ग से 27 फीसदी आरक्षण का वादा किया और अपने ही व्यक्ति से इस पर हाइकोर्ट से स्टे ले लिया।