रोका छेका अभियान को जिम्मेदारों ने पशु का चारा समझ कर गटक गए,तो वही विवेकानंद गार्डन में आवारा पशुओं का बसेरा जाने क्यों घुमंतू पशुओं को भाने लगा है गार्डन

रोका छेका अभियान को जिम्मेदारों ने पशु का चारा समझ कर गटक गए,तो वही विवेकानंद गार्डन में आवारा पशुओं का बसेरा  जाने क्यों घुमंतू पशुओं को भाने लगा है गार्डन

 संवाददाता हरी देवांगन

जिला उप मुख्यालय चांपा: जांजगीर चांपा जिले के राष्ट्रीय राजमार्ग,ओवर ब्रिज,अंडर ब्रिज,एनिकट,सहित चौक चौराहों में गली मोहल्ला में आवारा सहित घुमंतू पशुओं का विचरण आज प्रत्यके रहागीर को झेलना पड़ रहा है, यह कोई नई बात नहीं रह गई है,अब तो और हद हो गई नगर का एकमात्र और जनता को समर्पित विवेकानंद गार्डन में भी घुमंतू और आवारा पशुओं का बसेरा हैरान कर देने वाला है,आखिर क्या वजह है कि घुमंतू और आवारा पशुओं का मनपसंद जगह बनने जा रहा है विवेकानंद गार्डन,,,,।

वैसे तो नगर सरकार के जिम्मेदारों ने इकलौते विवेकानंद गार्डन को जनमानस के लिए तैयार किया गया है,जहां तमाम अव्यवस्थाओं के बीच जैसे तैसे लोग घूमने फिरने एवं सैर सपाटे के लिए पहुंच रहे हैं,लेकिन इस आराम देह और मनमोहन गार्डन में जाने से महिलाएं एवं बच्चों को झिझकना पड़ रहा है, इसका मुख्य वजह यह बताया जाता है कि यहां घुमंतू आवारा पशुओं का जमकर डेरा बसेरा देखा जा रहा है,आखिरकार गार्डन में नियुक्त चौकीदार कर क्या रहे हैं,जिसके रहते हुए भी घुमंतू पशुओं का गार्डन के अंदर प्रवेश किस तरह से हो रहा है,यह अपने आप में एक सवाल बन चुका है, बताया जाता है

कि गार्डन के देखभाल के लिए अनेकों चौकीदार सहित मालियों की नियुक्ति की गई है, इसके उपरांत भी घुमंतू पशुओं का गार्डन के अंदर डेरा बसेरा और अव्यवस्थाओं पर बड़ा प्रश्न चिन्ह लग रहा है, इस गार्डन में एक ओर मिलेट कैफे का चकाचौंध रोशनी है,तो दूसरी ओर गाय गोबर और गंदगी का भरमार आखिरकार ऐसी अव्यवस्थाओं का क्या अर्थ निकाला जाए,यहां उल्लेख करते चले कि सुबह और शयनकाल विशेष कर महिलाओं के साथ मासूम बच्चे गार्डन में घूमने फिरने एवं सैर सपाटे के लिए पहुंचते हैं,इस दौरान घुमंतू पशुओं के द्वारा महिलाओं तथा बच्चों पर किसी भी प्रकार के नुकसान की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता,यूं

 तो ज्यादातर घुमंतू पशु अपने चार के तलाश में अपने आप में मस्त होते हैं लेकिन इतना ही काफी नहीं है,पशुओं के आक्रामक होने अथवा बच्चों के द्वारा छेड़ दिए जाने पर स्थित विषम निर्मित हो सकती है,उल्लेखनीय है कि गार्डन के अंदर विचरण करने वाले पशु कई कई दिनों के लिए गार्डन के अंदर ही जमे रहते हैं जिन्हें सुबह से लेकर रात तक किसी भी सरे राह देखा जा सकता है,जिसे जिम्मेदारों के द्वारा लंबे समय से नजर अंदाज किया जा रहा है,यहां पर जिम्मेदारों से यह जरूर पूछा जाना चाहिए कि विवेकानंद गार्डन आम जनता के सैर सपाटे के लिए निर्मित किया गया है या घुमंतू और आवारा पशुओं के चारागाह के लिए, और यदि ऐसा है तो इस गार्डन को विवेकानंद गार्डन के बजाय

ग र वा भैसा उद्यान रख दिया जाना चाहिए जो कि पूरे प्रदेश में एक रोल मॉडल साबित हो जाएगा,,,,।