पेसा कानून 1996 एवं ROFRA के तहत एक दिवसीय कार्यशाला प्रशिक्षण

पेसा कानून 1996 एवं ROFRA के तहत एक दिवसीय कार्यशाला प्रशिक्षण
पेसा कानून 1996 एवं ROFRA के तहत एक दिवसीय कार्यशाला प्रशिक्षण

सुकमा: छत्तीसगढ़ सरकार पेसा कानून के 25 साल के बाद नियम लायी है, इसी कानून को सर्व आदिवासी समाज जिला- सुकमा द्वारा एक दिवसीय कार्यशाला सह प्रशिक्षण का कार्यक्रम आयोजन किया गया । जिसका मुख्य उद्देश्य नियम 2022 को समझना एवं कानून के प्रावधानों को पूरे जिला तक पहुंचाने के बारे के विभिन्न समाज से आये सियान, युवा और सामाजिक कार्यताओ के बीच समझ बना सके ।

कार्यशाला प्रशिक्षण में पेसा कानून के लिए किए गए , संघर्षों के साथ-साथ कानून के आत्मा के बारे में वक्ताओं के बारे में बोला गया।सभा में गूंजा राज्य और केंद्र में हमारी सरकार और हमारे गांव में हम ही सरकार।

मुख्य वक्ता अश्वनी कांगे जी ने कहा सविधान ने सत्ता का विकेंद्रीकरण करते हुए ग्राम सभा को संवैधानिक अधिकार है कि ग्राम सभाएं अपनी समस्त योजनाओं के संचालन और संपदाओं के प्रबंधन और मालिकाना अधिकार प्राप्त है साथ ही समस्त प्रकार की योजनाओं के सुचारू रूप से क्रियान्वयन के लिए ग्राम सभा ही मुख्य अंकेषण कर्ता है। साथ ही समस्त वन संपदाओं के स्वामित्व के लिए ग्राम सभा ही सक्षम है।

आज हम पांचवी अनुसूची क्षेत्रों के प्रशासन और नियंत्रण के लिए बने पेसा कानून के नियम बनाने के लिए बात कर रहे हैं तो यह भी जानना लेना जरूरी है कि

23 साल हो गये पेसा कानून बने, पर हमे लगता है कि जंहा मध्य भारत के 10 पांचवी अनुसूची राज्यों में केवल 6 राज्यों में पेसा के रूल्स बने हैं, उन सभी नियम को देखने में हमें लगता है, कहीं न कहीं वे सारे नियम एक टेबल में बैठ कर बनाया गया नियम है । ऐसा हमने महसूस किया है , मुझे लगता है हमें एक बार समीक्षा करना चाहिए खास तौर से कि भारतीय संविधान की अनुच्छेद 243 (M) यह कहता है कि “कतिपय क्षेत्रों में इस भाग का लागू नहीं होना”. इसका मतलब यह है कि सविधान के भाग 9 में पंचायत राज को रखा गया है और उसी भाग का 243 (M) कहता है कि ये अनुसूचित क्षेत्रों में लागू नहीं होगा। 

इसका मतलब यह है कि जब वर्ष 1992 में 73 वां सविधान संसोधन जोड़ा जा रहा था तब उस समय यह देखा गया कि, अनुसूचित क्षेत्र के लिए पंचायती राज व्यवस्था ठीक नहीं होगा , लेकिन यदि संसद चाहे तो, उसको “अपवादों और उपांतरणों” के साथ में 5 वी अनुसूची क्षेत्र में विस्तारित कर सकता है और इसके तहत ही 1996 में अपवादों और उपांतरणों के साथ “पेसा” कानून लाया गया .

अब देखें तो ये दो शब्द है “अपवादो और उपांतरणों” के साथ विस्तारित करना, तो हमें देखना पड़ेगा कि 1996 के पहले उस क्षेत्र में जो भी प्रवृत विधि (एड्जिस्तिटग रूल ) रहे होंगे, शेड्यूल एरिया में उसको 1 साल के भीतर में उस समय शिथिलता बरतते हुए , उनमें पारंपरिक व्यवस्थाओं के अनुरूप जो कि रूल्स में दिया गया है, वो बदलाव/परिवर्तन कर लिए जाने चाहिए थे या उसके अनुरूप बना लिये जाना चाहिए थे. 

हम देखते हैं उस समय मध्य प्रदेश के समय में केवल 1997-98 में 5-6 ऐसे कानून है जिसमें पेसा के अनुरूप थोड़े-थोड़े बदलाव लाए गए, जैसे अभी चर्चा में निकल कर आया कि भू राजस्व की धारा 170 ख 2 (क) जोड़े गए , आबकारी अधिनियम में जोड़े गये , पंचायत राज कानून में संशोधन किया गया, ऐसे तीन-चार और कानून हैं जिसमें बदलाव लाए गए. उस समय पेसा के लिए अलग से नियम नहीं बनें थे इसलिए सारे डिपार्टमेंट जैसे कि चर्चा में निकल कर आया कि, माइनिंग में यह-यह प्रावधान हो सकता हैं मंडी बोर्ड में ऐसा प्रावधान हो सकता हैं वो सारे प्रावधन – सामन्य क्षेत्र के लिए हैं।

सर्व आदिवासी समाज संभागीय अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर ने

इस कार्यक्रम के माध्यम से समस्त समाज के भीतर पेसा कानून के नियम में जन जागृति लाने की कोशिश की जा रही है, इसके बाद सुकमा जिला के समस्त ब्लॉक- ब्लॉक में पेसा कानून के नियम को गांव-गांव तक प्रचार करेंगे और प्रत्येक ग्राम सभाओं को शसक्त करेंगे। साथ ही प्रत्येक ग्राम सभाओं से सुझाव भी लेंगे की नियमों में क्या फेरबदल को आवश्यकता है, इसके पश्चात इसके लिए रणनीति बनाएंगे।

इस एक दिवस कार्यशाला प्रशिक्षण में संभागीय अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर पेसा एक्ट मास्टर अश्वनी कांगे , तुलसी ठाकुर , योगेश नरेटी , ललित नरेटी, संदीप सलाम,पोज्जा मरकाम सर्व आदिवासी समाज अध्यक्ष जिला सुकमा, वेको हूँगा कोया कुटमा अध्यक्ष जिला सुकमा, मनीष कुंजाम पूर्व विधायक कोंटा, गणेश सोरी सहायक आयुक्त सुकमा, हिरमा सोढ़ी, धीरज राणा, गंगा नाग, अयता मंडावी, रामदेव बघेल, रामा सोढ़ी, उमेश सुंडाम, गंगा सोढ़ी, लच्छू नाग, विष्णु कवासी, संतोष उसेंडी, आनंद, मरकाम, गंगा बघेल, गुन्नू राम नाग, लक्ष्मण कोर्राम, पायल सोड़ी,पुस्पलता मुचाकी, डेनिम नाग, वांडो भीमा, कलमु सोमारू, धनीराम नाग, विमलू कर्मा, मंजू कवासी, रमेश नाग, लच्छू कश्यप, कमलेश मरकाम, कोसा मरकाम, प्रवीण सोड़ी, मेघनाथ बघेल, रघु मुचाकी, सहदेव नाग, किशोर नाग, राजकुमार नाग, जयंती नाग, बबिता नाग,मानक नाग, सुनीता नाग, निसा नाग, कवासी लखमा, जोगा कवासी, ज्योति सोड़ी, कलमु लक्ष्मी, हुंगी सोढ़ी, संगीता नाग, आदि उपस्थित थे ।