उपचुनाव के सीट को लेकर नेताओं का फोकस, कितने पानी में हैं 'आप' और कांग्रेस, वा भाजपा...

उपचुनाव के सीट को लेकर नेताओं का फोकस, कितने पानी में हैं 'आप' और कांग्रेस, वा भाजपा...
उपचुनाव के सीट को लेकर नेताओं का फोकस, कितने पानी में हैं 'आप' और कांग्रेस, वा भाजपा...

आदमपुर सीट बिश्नोई परिवार का गढ़ रही है। खुद कुलदीप बिश्नोई इस सीट से 1998 से जीतते रहे हैं। ऐसे में इस बार का उपचुनाव खुद कुलदीप बिश्नोई और भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गए हैं

हरियाणा : में विधानसभा चुनाव होने में दो साल का वक्त बचा है, लेकिन सियासी दलों ने अभी से ही अभियान तेज कर दिया है। खासतौर पर दिल्ली और पंजाब जैसे पड़ोसी राज्यों की सत्ता पर काबिज हुई आम आदमी पार्टी ज्यादा ऐक्टिव दिख रही है। अरविंद केजरीवाल ने 7 सितंबर को हरियाणा से ही अपने राष्ट्रव्यापी मेक इंडिया नंबर वन अभियान की शुरुआत की है। यही नहीं उनका कहना है कि आदमपुर विधानसभा सीट पर कुछ महीनों में ही उपचुनाव होना है, इसमें आम आदमी पार्टी मुकाबले में उतरेगा। उन्होंने जनता से इस सीट पर जिताने की अपील करते हुए 2024 में हरियाणा में सरकार बनाने का दम भरा है।

कुलदीप बिश्नोई के इस्तीफे से खाली हुई सीट पर अरविंद केजरीवाल के फोकस को इससे समझा जा सकता है कि उनका कहना है कि यदि हम यहां जीतते हैं तो फिर 2024 में सरकार बनाने के रास्ते खुल जाएंगे। कुलदीप बिश्नोई ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा है और इसी के चलते विधायकी से इस्तीफा दे दिया था। अब इस पर चुनाव होना है और कांग्रेस, भाजपा, आम आदमी पार्टी समेत सभी दल यहां अपनी ताकत आजमाने की तैयारी में हैं। अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को आदमपुर में रैली करते हुए कहा, 'आदमपुर में आप की जीत उसे राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित कर देगी और यहां की चौधराहट वापस लौटेगी। आप लोग मुझे एक मौका दीजिए, हम हरियाणा को बदल देंगे। यदि मैं गलत हो जाऊं तो यहां से बाहर कर देना।'

एक तरफ खुद को हरियाणवी छोरा बताते हुए अरविंद केजरीवाल ऐक्टिव हो गए हैं तो वहीं कांग्रेस अभी आपसी कलह में ही उलझी हुई है। आदमपुर सीट बिश्नोई परिवार का गढ़ मानी जाती रही है। खुद कुलदीप बिश्नोई इस सीट से 1998 से जीतते रहे हैं। ऐसे में इस बार का उपचुनाव खुद कुलदीप बिश्नोई और भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई ने राज्यसभा चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग करते हुए भाजपा कैंडिडेट को वोट दे दिया था। उसके बाद कांग्रेस की ओर से उन्हें नोटिस मिला था और बाद में उन्होंने पार्टी ही छोड़ दी थी।

बिश्नोई को घेरने में कांग्रेस भी नहीं छोड़ेगी कोई कसर

ऐसे में कांग्रेस भी आदमपुर विधानसभा सीट पर उन्हें घेरने का प्रयास करेगी। इसके अलावा इंडियन नेशनल लोकदल भी यहां मुकाबले में होगी। इस तरह आदमपुर सीट पर मुकाबला इस बार रोचक हो सकता है और देखना होगा कि चौतरफा मुकाबले में कुलदीप बिश्नोई कैसे अपनी परंपरागत सीट को बचा पाते हैं। गौरतलब है कि दिल्ली और पंजाब के बीच का राज्य होने के चलते हरिय़ाणा की सियासत इन दोनों ही राज्यों से कुछ हद तक प्रभावित होती रही है। यही वजह है कि अरविंद केजरीवाल यहां अपने लिए संभावनाएं देख रहे हैं।