चाणक्य नीति के इस नियम को पालन करे, कई प्रकार की बाधाओं को पार कर सकता है।
Chanakya Niti चाणक्य नीति में जीवन के कई बहुमूल्य विषयों को आचार्य चाणक्य ने सम्मिलित किया है। कहा जाता है कि चाणक्य नीति की शिक्षा को केवल श्रवण करने से और उनका पालन करने से व्यक्ति कई प्रकार की बाधाओं को पार कर सकता है।
चाणक्य नीति की गणना भारत के सबसे प्रचलित ज्ञान स्रोतों में की जाती है। इस ज्ञान के भंडार की रचना प्रसिद्ध गुरु चाणक्य द्वारा की गई थी। चाणक्य नीति में जीवन के कई महत्वपूर्ण विषयों को संलिप्त किया गया है। एक व्यक्ति अपने जीवन में कैसे सफल और उत्कृष्ट बन सकता है इस विषय को चाणक्य नीति में विस्तार से समझाया गया है। आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya Niti) न केवल राजनीति में निपुण थे बल्कि उन्हें रणनीति, युद्धनीति, अर्थनीति का भी विस्तृत ज्ञान था। उन्होंने गुरु के रूप में अपना सम्पूर्ण जीवन मानव कल्याण के लिए समर्पित कर दिया। चाणक्य नीति के इस भाग में आइए जानते जीवन में कैसा धन होता है सबसे श्रेष्ठ।
चाणक्य नीति की ये बातें हैं महत्वपूर्ण (Chanakya Niti Teaching)
न चोरहार्य न राजहार्य न भ्रतृभाज्यं न च भारकारि।
व्यये कृते वर्धति एव नित्यं विद्याधनं सर्वधनप्रधानम् ।।
चाणक्य नीति के इस श्लोक में बताया गया है कि ना तो कोई चोर इसे चुरा सकता है, ना ही इसका बंटवारा किया जा सकता है और ना ही इसे संभालना कोई भारी काम है। यही कारण है कि खर्च करने से और अधिक बढ़ने वाला विद्या रूपी धन, सभी रत्न और धन से प्रधान है। इसलिए व्यक्ति को धन के पीछे नहीं बल्कि विद्या के पीछे चलना चाहिए। विद्या जिसके पास होगी धन अपने-आप उसके पास चला आएगा।
उद्यमीः साहस: बुद्धिः पराक्रमः।
षडेते यत्र वर्तन्ते तत्र दैवं सहायक क्रिया।।।।
आचार्य चाणक्य बताते हैं कि जिस व्यक्ति के अंदर परिश्रम और जोखिम उठाने का जूनून है, साथ ही जो साहस, धैर्य, बुद्धि, शक्ति और पराक्रम जैसे गुणों से सुस्सजित है। उसकी सहायता सदैव भगवान भी करते हैं। इसलिए व्यक्ति का धन उसका गुण है। वह अगर गुणी व्यक्ति है तो उसका सम्मान पूरा समाज करता है। वहीं अगर वह किसी एक विषय में गुणहीन है तो उसे जीवनभर संघर्ष का सामना करना पड़ता है।