कविता:: शीर्षक छा गया पाऊच गुटखा तम्बाकू
~दुनिया में छा गए पाऊच गुटखा तम्बाकू,
नहीं रख पा रहे हैं कोई भी अपने मुख पर काबू।
~ज्ञानी ध्यानी या हो अनपढ़ निश्छल,
खाए ही जा रहें वो जीवन में हरपल।
~बड़े बुजुर्ग सुबह शाम करते तम्बाकू सेवन,
खुद धुम्रपान कर बच्चों को बढ़ावा देते एवं।
~युवाओं का तो और भी क्या है कहना,
सहन न कर सके इनसे एक पल भी बिछड़ना।
~कम्पनी वाला भैया क्या खूब बनाये जा रहे हैं,
अपने बैंक एकाउंट में एमाउंट को क्या खूब बढ़ाये जा रहें हैं।
~शासन प्रशासन का भी क्या है एक्शन,
उल्टा पड़ रहा उनका हर एक रिएक्शन।
विनती,
आज छोड़ेंगे तो हमारा कल सुधर जायेगा,
अन्यथा ये ही हमें एक दिन जीते जी निगल जायेगा।
*लेखक,कवि, गीतकार*
विजय कुमार कोसले,
ग्राम- नाचनपाली, पोस्ट- लेन्धा छोटे
तहसील - सारंगढ़, ज़िला- सारंगढ़ बिलाईगढ, छत्तीसगढ़।
मो.नं.-6267875476