बच्चों के लिए जितना फायदेमंद उतना ही एक मां के लिए भी स्तनपान कराना बहुत फायदेमंद साबित होता है
हेल्थ टिप्स: मां के दूध में विभिन्न पोषक तत्व और लाभकारी गुण होते हैं जो बच्चे के स्वास्थ्य और विकास को बढ़ावा देते हैं। यह त्वचा से त्वचा के संपर्क के माध्यम से माँ और बच्चे के बीच एक मजबूत संबंध बनाने में भी मदद करता है.
ब्रेस्टफीडिंग के लाभ-
1. कंप्लीट न्यूट्रिशन : मां का दूध शिशु के लिए सभी जरूरी पोषक तत्वों का सही संतुलन प्रदान करता है, जिससे मालनूट्रिशन की संभावना कम हो जाती है. बच्चे फैट, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, प्रोटीन, विटामिन, खनिज, लौह, मैग्नीशियम, कैल्शियम और कैलोरी जैसे आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त करने के लिए मां के दूध पर निर्भर रहते हैं
. पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड स्तन के दूध में पाया जाने वाला एक हेल्दी फैट है जो शिशुओं में मस्तिष्क के विकास को बढ़ावा देता है. यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करता है जो विभिन्न स्वास्थ्य रोगों के विकास के जोखिम को काफी कम कर सकता है. इसे पचाना भी आसान है और शिशु की आवश्यकताओं के अनुसार दूध बदलता भी है.
2. बीमारियों से बचाव : स्तनपान शिशु को अस्थमा , मोटापा, टाइप 1 डायबिटीज और SIDS जैसी स्थितियों के जोखिम से बचाता है. इसमें मौजूद एंटीबॉडीज के कारण कान के इन्फेक्शन और पेट की समस्याओं की संभावना भी कम हो जाती है.
3.सकारात्मक प्रभाव : थोड़ी मात्रा में भी मां का दूध शिशु की इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है.
4. माताओं के लिए लाभ: स्तनपान मां में स्तन और डिम्बग्रंथि कैंसर, टाइप II डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर के जोखिम को कम करता है. यह पोस्टपार्टम रिकवरी में भी मदद करता है और मां-बच्चे के बीच के बंधन को मजबूत करता है
5. स्तनपान के दौरान हार्मोन रिलीज: स्तनपान के दौरान ऑक्सीटोसिन नामक हार्मोन रिलीज होता है. यह हार्मोन विश्राम को बढ़ावा देता है और गर्भावस्था और प्रसव प्रक्रिया के दौरान होने वाले तनाव से राहत देता है.
तनावमुक्त रहना दोनों के बीच प्रेमपूर्ण बंधन को विकसित करने में मदद कर सकता है. जब बच्चे दूध के लिए स्तन चूसते हैं, तो ऑक्सीटोसिन हार्मोन स्तन के ऊतकों में संकुचन को प्रोत्साहित करता है जिससे दूध निकलता है. इसे मिल्क इजेक्शन रिफ्लेक्स कहा जाता है.
सफल ब्रेस्टफीडिंग के लिए टिप्स–
त्वचा से त्वचा संपर्क: अपने बच्चे को त्वचा से त्वचा लगाकर पकड़ने से दूध उत्पादन और दूध पिलाने की क्रियाएं शुरू होती हैं.
फीडिंग संकेत पहचानें: बच्चे के होठों को चूसने, हाथ चूसने या दूध खोजने जैसे संकेतों को पहचानकर समय पर दूध पिलाएं.
आराम और स्थिति: आरामदायक स्थिति सुनिश्चित करें ताकि बच्चे को सही से दूध पिलाया जा सके और असुविधा कम हो.
डकार दिलाना: दूध पिलाने के बाद बच्चे को डकार दिलाएं ताकि फंसी हुई हवा निकल सके और असुविधा न हो.